

आज world heart day है और देश में जिस तेजी से दिल की बीमारियों के मरीजों की संख्या बढ़ रही है वो चिंताजनक है एक तरफ देश के युवाओं में नशे की आदत बढ़ रही है तो दूसरी तरफ तनाव शहरों में रहने वालों की धड़कने बढ़ा रहा है. भागती-दौड़ती जिंदगी और टैंशन के बीच अपने दिल को सेहतमंद रखना आज किसी चेलेंज से कम नहीं है.
दिल वालों की दिल्ली नहीं, अब दिल की मरीज दिल्ली कहिए. आमची मुंबई नहीं – हांफती मुंबई कहिए. हैदराबाद हो, दिल्ली या मुंबई हर शहर के आंकड़े डरा रहे हैं. ECG के Chart पर हर किसी की हार्ट वाली लाइन गड़बड़ हो चुकी है.
ना तो दिल्ली की दिल धड़क रहा है ना मुंबई धक धक कर रही है. सबकी धड़कने काबू से बाहर हैं और एमरजेंसी वाली हार्ट बीट्स कभी भी थम सकती हैं. इसलिए सावधान होने का वक्त आ गया है.
ये हार्ट अटैक का वो अलर्ट है जिसके खिलाफ एक्शन लेकर आप बच सकते हैं. दिल्लीवालों में कसरत न करने की आदत और बढ़ता मोटापा दिल से जुड़ी बीमारी को न्योता दे रहा है तो मुंबईवालों में ज्यादा स्ट्रेस और नींद की कमी दिल की बीमारियों की वजह बन रहा है. हैदराबाद में भी मोटापे को हार्ट रिस्क की सबसे बड़ी वजह माना गया है.
शहरों में रहने वाले 64 फीसदी लोगों में हार्ट रिस्क की बड़ी वजह गलत लाइफस्टाइल है. डॉक्टर्स के मुताबिक आज के दौर में दिल के इमराज की सबसे बड़ी वजह है लाइफ स्टाइल , जंक फुड, बल्ड प्रेशर, आराम तलबी और डिप्रेशन.
लाइफस्टाइल यानी हमारी खराब होती जा रही जीवनशैली जिसमें जंक फूड, एक्सरसाइज ना करना, शराब और सिगरेट जैसी आदतें आती हैं. जानकार मानते हैं कि दिल की बीमारियों के खतरे पर पहुंचाने के लिए 90 प्रतिशत से ज्यादा योगदान इन्हीं खराब आदतों का है. दिल की बीमारी के लिए केवल हमारे जीन्स यानी आनुवांशिक संरचना का योगदान केवल 10 फीसदी है.
टीवी के सामने कंम्पयूटर स्क्रीन पर रोजाना 4 घंटे से ज्यादा वक्त तक बैठे रहने वाले लोगों में दिल की बीमारी का खतरा 80 फीसदी तक ज्यादा होता है.
कनाडा में हुई एक स्टडी के मुताबिक जंक फूड, ज्यादा नमक और तेल वाला खाना खाने वालों में दिल की बीमारियों का खतरा 35 फीसदी तक ज्यादा होता है.
Metropolis health care में 2016 से 2019 के बीच किए गए टेस्ट के आधार पर आंकलन किया है कि दिल्ली में रहने वाले 10 में से 4 लोगों के कोलेस्ट्रॉल लेवल ज्यादा हैं. मतलब साफ है, हम खुद ही कुल्हाड़ी पर पैर मार रहे हैं।
यानी हम जानते हैं कि हम अपने दिल के साथ दिल्लगी कर रहे हैं लेकिन ये सेहत पर बहुत भारी पड़ रही है. अब ये जानना और भी जरुरी है कि हमें क्या करना है जिससे दिल का ख्याल रखा जाए और बीमार होने से बचा जा सके.
– स्मोकिंग फौरन छोड़ दें – इसका कोई विकल्प नहीं है
– हफ्ते में 5 दिन तीस मिनट तक एक्सरसाइज़ करें – फिर चाहे वो वाकिंग हो, जागिंग हो, जिम हो या योगा – जो आपके शरीर और रुटीन में फिट बैठ जाए वो करें.
– नमक कम खाएं. इतना कम कि खाना फीका लगे.
– हरी सब्जियां, ताजे फल ज्यादा से ज्यादा खाएं
– जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स कम से कम और शराब से तौबा कर लें तो हो सकता है आपको दिल के डॉक्टर की जरुरत ही न पड़े.
अब आपको आपके दिल से जुड़ीं कुछ रोचक जानकारियां भी देना चाहते हैं.
एक दिन में हमारा दिल करीब एक लाख बार धड़कता है. हमारा दिल शरीर की 75 लाख करोड़ कोशिकाओं तक खून पहुंचाता है. हमारा दिल एक दिन में जितनी ऊर्जा पैदा करता है उससे एक ट्रक 32 किलोमीटर की दूरी तक चल जाएगा. औसत जीवनकाल में हमारा दिल 119 करोड़ लीटर खून पंप करता है और हमारा दायां फेफड़ा बायें फेफड़े की तुलना में थोड़ा छोटा होता है ताकि दिल को जगह मिल सके.
अब आपको भारत के दिल को कमजोर करने की वजह के बारे में बताते हैं
शहरी भारत में रहने वाले 40 फीसदी लोगों का Cholesterol लेवल ज्यादा है जो दिल के लिए बहुत नुकसानदायक स्थिति है.
Diabetes के मरीजों में दिल की बीमारी की ज्यादा आशंका होती है और भारत में डायबिटीज के शिकार मरीजों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा 3 करोड़ 10 लाख है.
भारत के 14 करोड़ से ज्यादा लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है जो हार्ट अटैक की मुख्य वजह होती है.
ये सब बीमारियां मुख्य तौर पर खान-पान से जुड़ी होती हैं. Junk Food खाने की आदत या मजबूरी. भारत के लोगों के दिल को कमजोर कर रही है. कनाडा में हुए एक रिसर्च के मुताबिक दुनिया में 35 फीसदी हार्ट अटैक के मामलों के लिए जंक फूड जिम्मेदार होता है. रिसर्च में ये भी पता चला है कि जो लोग फल और सब्जियां खाते हैं उनमें जंक फूड खाने वालों के मुकाबले हार्ट अटैक होने की आशंका 30 फीसदी कम होती है. यानी हार्ट अटैक का जंक फूड से बड़ा गहरा कनेक्शन है.
Heart Diseases
छोटी सी उम्र में लगा हृदय रोग !
25 %
हार्ट अटैक 40 साल से कम उम्र के लोगों को हो रहे हैं
900
30 वर्ष से कम उम्र के दिल के मरीज रोजाना मरते हैं
33 %
युवा आबादी को हार्ट अटैक या दिल की दूसरी बीमारियों का खतरा
33 %
18-45 साल के लोगों का ब्लड प्रेशर काबू से बाहर
62 %
भारतीय मरीजों को पता नहीं था कि उन्हें हाईब्लड प्रेशर है